Akanksha Singh
Akanksha Singh, Student of Law
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उन उड़ते हुए परिंदों से बेहतर कौन बता सकता है, क्या है आज़ादी!
जहाँ न कोई रोक-टोक हैं , न कोई मर्यादा, न कोई जंजीरें,
न कोई समाज की संकुचित विचारधारा हैं! जहाँ न कोई बंधन हैं,
न कोई नियम-कानून, न मजहब, न अंधविश्वास हैं!
जहाँ पंख पसारने की आज़ादी है,
जहाँ, जहाँ-चाहे वहाँ उड़ने की आज़ादी है ,वही आज़ादी है!
जहाँ न कोई रोक-टोक हैं , न कोई मर्यादा, न कोई जंजीरें,
न कोई समाज की संकुचित विचारधारा हैं! जहाँ न कोई बंधन हैं,
न कोई नियम-कानून, न मजहब, न अंधविश्वास हैं!
जहाँ पंख पसारने की आज़ादी है,
जहाँ, जहाँ-चाहे वहाँ उड़ने की आज़ादी है ,वही आज़ादी है!
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